अंधेरे में जीवन यापन करने वालों के लिए यह एक अच्छी खबर होगी तो बिजली बचत की दिशा में भी एक कारगर कदम होगा। ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में सौर ऊर्जा की अलख जगेगी। उत्तर प्रदेश में बिजली की खपत को कम करने के लिए वैकल्पिक ऊर्जा से 10700 मेगावाट बिजली उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है।1उत्तर प्रदेश में बिजली का कुल उत्पादन (थर्मल पॉवर) बीस हजार मेगावाट है, जिसकी आधी बिजली अब सौर उर्जा से बनाई जाएगी। पांच साल में इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए समझौता पत्र (एमओयू) पर बुधवार को हस्ताक्षर होंगे। कुल 46 एमओयू में 63 हजार करोड़ का निवेश होगा। 1इन्वेस्टर्स समिट में सौर ऊर्जा के क्षेत्र में बड़ा निवेश होगा। सौर ऊर्जा के प्लांट कहां-कहां लगेंगे, यह तो बाद में पता चलेगा, लेकिन सरकार सौर ऊर्जा से उत्पादित बिजली को खरीदेगी।
सौर ऊर्जा से एक लाभ यह भी होगा कि उत्तर प्रदेश में पर्यावरण सुरक्षा की दिशा में भी काम हो सकेगा। कोयले से बिजली बनाने में हवा में कार्बन खुलने से सबसे अधिक नुकसान पर्यावरण को ही हो रहा था। 1प्रदेश के अतिरिक्त ऊर्जा स्रोत एवं न्याय मंत्री बृजेश पाठक सौर ऊर्जा के क्षेत्र में होने वाले 46 एमओयू से 63 हजार करोड़ के निवेश को बिजली के क्षेत्र में एक अच्छा कदम मानते हैं। वह कहते हैं कि पांच साल में 10700 मेगावाट सौर ऊर्जा के उत्पादन करने का लक्ष्य रखा गया है। इससे उत्तर प्रदेश में बिजली की खपत आधी हो जाएगी।
अभी बीस हजार मेगावाट की मांग है, जो थर्मल से तैयार होती है और महंगी पड़ती है, जबकि सौर ऊर्जा सस्ती होगी। उन्होंने बताया कि एक हजार मेगावाट बिजली बनाने का टेंडर मार्च में ही हो जाएगा। उन्होंने बताया कि सौर ऊर्जा के उपकरणों की मरम्मत करने के लिए दस हजार सूर्य मित्रों को भी प्रशिक्षण दिया जाएगा। मंत्री ने बताया कि एमओयू के बाद सौर ऊर्जा के प्लांट लगाने की दिशा में काम होगा। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने सौर ऊर्जा नीति 2017 बनाई थी, जिसका लाभ इन्वेस्टर्स समिट में मिल रहा है।